रायगढ़। रायगढ़ के तमनार ब्लाक की प्राकृतिक संपदा ही अब वहां के बाशिंदों के लिए अभिशाप बन गई है। कई छोटे-बड़े कोल ब्लॉक्स के कारण यहां का अंडर वाटर खतरनाक रसायनों से युक्त होकर बाहर आ रहा है। जिसके कारण यहां कई गंभीर बीमारियों ने अपने पांव पसारने शुरू कर दिए हैं। यहां के 14 गांव में ढोलसरा, पाता, गुड़गांव, सरईटोला ढोलनारा , गारे, कुंजेमुरा और टिहली रामपुर के पानी में आर्सेनिक की मात्रा अधिक है। जिससे त्वचा कैंसर, फेफड़े आमाशय और गुर्दे का कैंसर होता है। वही पाता, गुड़गांव, सरईटोला और गारे ग्राम में फ्लोराइड की मात्रा अधिक है जिससे फ्लोरोसिस नाम की बीमारी होती है जिसमें अंग टेढ़े मेढ़े हो जाते हैं और आदमी भरी जवानी बूढ़ा होने लगता है इसके उपयोग से यहां के लगभग 50 बच्चों के दांत में विकृति आ गई है। ज्यादातर बच्चे दांतों के पीला पड़ने या सड़कर झड़ने की समस्या का सामना कर रहे हैं। कई बच्चे ऐसे हैं जिनके दूध के दांत टूटने के बाद पुन: नए दांत आ ही नहीं रहे हैं। इस समस्या के स्थाई समाधान के लिए गंभीरता से प्रयास नहीं किया जा रहा है। प्रारंभिक तौर पर कुछ गांवों में पानी से फ्लोराइड दूर करने रिमूवल प्लांट लगाए गए हैं। फिर भी ग्रामीण फ्लोराइड युक्त पानी पीने मजबूर हैं। घरों तक साफ पानी पहुंचाने के लिए शुरू की गई नल-जल योजना का लाभ भी लोगों को नहीं मिल रहा है।वही कुंजेमुरा, चितवाही, ढोलनारा टिहली रामपुर झिंकाबहाल में नाइट्रेट की मात्रा अधिक होने से खून में ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है। और रायगढ़ शहर के कुछ इलाकों सहित इन 14 गांव में आयरन की मात्रा अधिक है जिससे पेट संबंधी रोग और परेशानियां बढ़ रही है। अगर समय रहते इसके रोकथाम के उपाय नहीं किए गए या फिर जनता को वैकल्पिक व्यवस्था नहीं दी गई तो रायगढ़ बन जायेगा बीमारों का जिला । जानकारों का तो यह मानना है कि हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं।
