कालोनियों के अंदर शासकीय भूमि की खोज के आदेश को हो गए 8 साल, नतीजा सिफर
रायगढ़ । छत्तीसगढ़ शासन नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग मंत्रालय ने दिनांक 1 मई 2015 को अपने आदेश क्रमांक एफ 5 -49 /2014 के माध्यम से समस्त आयुक्त नगर पालिक निगम और समस्त मुख्य नगरपालिका अधिकारी को यह निर्देश दिया था कि किसी कॉलोनाइजर द्वारा कपट पूर्ण दस्तावेजों के माध्यम से अथवा अन्य अवैध तरीके से शासकीय भूमि को शामिल करते हुए अभिन्यास अनुमोदन कराकर कॉलोनी विकसित कर भूखंड विक्रय किए गए हैं। ऐसे प्रकरणों में कार्यवाही की जाए जिसके तहत अपने क्षेत्र में समस्त आवासीय कालोनियों का स्थल निरीक्षण कर भूमि के स्वामित्व की जांच करें तथा पूर्ण आंशिक अवैध कब्जा पाए जाने की स्थिति में नियमानुसार विकास अनुज्ञा को निरस्त कर ऐसी अवैध कालोनियों का प्रबंधन अपने हाथ में ले लेवें और कॉलोनाइजर पर कार्यवाही आगे बढ़ाई जावे। वही ऐसे कपट पूर्ण आवंटन के कारण वे भूखंड धारी जो पूर्व में मुद्रांक शुल्क पंजीयन शुल्क एवं डायवर्सन शुल्क जमा कर चुके हैं उनसे दोबारा इस मद में राशि जमा न कराई जाए। परंतु यह आदेश छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में लागू नहीं किया गया इसका क्या कारण है यह समझ से परे है। आज भी रायगढ़ की कई कालोनियों में शासकीय भूमि समाहित है कई बार इसके जांच का आदेश होता है पर फाइल ठंडे बस्ते में चली जाती है। क्या रायगढ़ के कालोनियों की जांच दोबारा होगी ? यहां यह भी उल्लेखनीय है कि इन कालोनियों के बाउंड्री वाल के कारण कई निजी जमीन भी उनके अंदर चली गई है साथ ही ऐसे भूखंडधारी जो उनकी कालोनियों के पीछे हैं उनके रास्ते बंद कर दिए गए हैं। एक तो शासकीय जमीन पर कॉलोनी काटी गई वही बड़ी ही ढिढ़ाई से दूसरों के रास्ते भी बंद कर दिए गए हैं। हालांकि भ्रष्टाचार के दलदल में गोता लगा रहे अधिकारी हर बार अपना मुंह बंद रखने की कीमत लेकर आगे बढ़ जाते हैं पर किसानों की कोई सुनवाई नहीं हो पा रही है। कांग्रेस शासन आने के बाद उम्मीद थी की किसानों की बात सुनी जाएगी परंतु यहां भी जातिवाद के कारण राजस्व मंत्रालय मूकदर्शक बनकर रह गया। और कोई सुनवाई नहीं हो पाई ,क्या मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस मुद्दे पर कोई जवाब दे पाएंगे ? चुनाव आ चुका है जनता जवाब का इंतजार कर रही है।