अजीब भूल भुलैय्या है राजस्व विभाग
रायगढ़। छत्तीसगढ़ का राजस्व विभाग एक अजीबो गरीब भूल भुलैया है। यहां जो एक बार फंस जाता है उसका जीवन और कई पीढ़ियां इसी रिकॉर्ड और नक्शों के खेल में खत्म हो जाती है। तारीख पर तारीख और अपनी ही जमीन को अपना सिद्ध करने में जूझता आम आदमी जब इन कार्यालयों के चक्कर काट कर अपने घर पहुंचता है तो यही सोचता है कि उनके बाप दादाओं ने जमीन खरीद कर उस पर कृपा की या उससे बदला लिया।
यह एक अजीबोगरीब भूल भुलैया है आज भी सन 1929 के रिकॉर्ड को बेस माना जाता है। नक्शों की हेर फेर को तो क्या कहिए आपकी जमीन कब छोटी और सामने वाले की बड़ी हो जाएगी आपको पता भी नहीं चलेगा। पुराने रिकॉर्ड खोजने से मिलेंगे नहीं और नए रिकॉर्ड को दुरुस्त करने की जद्दोजहद में आपके सिर के बाल उड़ जाएंगे। शुद्ध सीमांकन करना हिमालय की चोटी पर चढ़ने जैसा दुष्कर कार्य है। और फिर बटांकन करना तो पूरी महाभारत है।
पटवारी और आर आई अगर आपको सपोर्ट करेंगे तो 5 मिनट का काम भी नहीं है परंतु यदि वे नहीं चाहेंगे तो आप सर पटक लो आपका काम नहीं होगा। खुलेआम भ्रष्टाचार का प्रदर्शन देखना हो तो राजस्व विभाग में घुसकर देखिए ना डर न भय। उच्च अधिकारी भी क्या करेंगे एक स्थान से दूसरे स्थान पर ट्रांसफर कर देंगे पर नौकरी से तो वह भी नहीं निकाल सकते इसलिए कोई डर ही नहीं है। रहा सवाल निलंबन का तो वह तो नौकरी पेश जिंदगी का गहना है।और फिर यूनियन इतनी तगड़ी है की सरकार भी हाथ उठा देती है, ऐसे में आपके पास क्या बच जाता है सिवाय इसके कि आप पटवारी जी को खुश रखें।
पुराना चुटकुला आज भी प्रासंगिक है कि गांव की महिला ने कलेक्टर साहब से कहा था की खुश रहो बेटा एक दिन तू जरूर पटवारी बनेगा। एक पटवारी में इतनी ताकत होती है कि अगर वह चाहे तो गिली गिली गिली गिली छू करके आपकी जमीन भी गायब कर सकता है। छत्तीसगढ़ के यशस्वी मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय स्वयं कृषक परिवार से आते हैं रायगढ़ के वर्तमान विधायक और केबिनेट मंत्री ओपी चौधरी भी किसान परिवार से आते हैं और उन्हें प्रशासनिक अनुभव भी है। उम्मीद की जा सकती है कि थोड़ा बहुत सुधार तो आएगा ही, यदि वे राजस्व विभाग में सुधार कर देते हैं तो लाखों लोगों की दुआएं उनके साथ होगी। सीमांकन बटांकन और रिकॉर्ड सुधार सब ऑनलाइन हो जाए तो कुछ पारदर्शिता आ सकती है।
रायगढ़ देश का पहला एसा स्थान है जहां राज्य मार्ग नक्शे में नहीं काटा गया है ।
जीपीएस सिस्टम और सेटेलाइट के माध्यम से सर्वे करने वाला राजस्व विभाग कई बार दावा कर चुका है कि इस नई तकनीक के माध्यम से हर तरह के विवाद समाप्त होंगे। परंतु वही राजस्व विभाग जब कोई समस्या आती है तो इन सेटेलाइट इमेज और नाप को नहीं मानता ,चांदा मुनारा तो लगभग गायब हो चुके हैं ,प्रकट चिन्ह है ही नहीं ,स्थिति यह है जिसकी लाठी उसकी भैंस। बदमाशों के लिए कोई कानून नहीं और शरीफों के ऊपर 1000 कानून काम करते हैं।