शासकीय वेबसाइट नहीं होती हैं अपडेट -प्रदेश चेम्बर
रायगढ़। एक तरफ छत्तीसगढ़ शासन अपने सारे कार्यालयों को आधुनिक और ऑनलाइन करने के लिए लाखों करोड़ों रुपए खर्च कर रहा है वहीं दूसरी ओर प्रशासनिक उदासीनता के कारण विभिन्न विभागों की वेबसाइट आधी अधूरी पड़ी है। किसी में 3 वर्ष तो किसी में 2 वर्ष से कोई अपडेट नहीं हो पा रहा है। जिसके कारण आम नागरिकों को वापस उसी ढर्रे में शासकीय कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। कहने को तो नगर एवं ग्राम निवेश ,नगर निगम , राजस्व न्यायालय ,नजूल विभाग ,रिकॉर्ड रूम ,तहसील ,पंजीयक सहित विभिन्न विभाग सभी ने वेबसाइट बना कर रखी हैं पर उसमें अपडेट नहीं होते । या फिर अधिकारी और कर्मचारी उसे अपडेट करना ही नहीं चाहते क्योंकि उससे ही उनकी रोजी-रोटी और रुतबा दोनों कायम राहत है । पीड़ित पक्षकार जितना अधिक शासकीय कार्यालयों के चक्कर काटेगा उतना ही अधिक पैसा भी बांटेगा।भ्रष्टाचार को खत्म करना है तो सभी विभाग अपनी सारी जानकारी न केवल सार्वजनिक करें बल्कि उससे अद्यतन करते रहे तभी पारदर्शिता आएगी और आम नागरिक को सुविधा प्राप्त होगी । आज छोटे से छोटा कर्मचारी भी अपनी सीट पर बैठने के बाद वो वहाँ का मालिक होता है ना तो आप उससे बहस कर सकते हैं और ना ही उससे कुछ पूछताछ कर सकते हैं । छतीसगढ़ की भाजपा सरकार को चाहिए कि सबसे पहले सारी वेबसाइट अपडेट करने के निर्देश सभी विभागों को जारी कर दिए जाएं ताकि सारे अपडेट्स लोगों को दिखने लगे । तारीख पर तारीख हर जगह है ऊपर के अधिकारी कितने भी निर्देश जारी कर दें परंतु होगा वही जो नीचे का कर्मचारी चाहेगा । प्रदेश चेंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीयल एसोसिएशन के रायगढ़ अध्यक्ष हीरा मोटवानी, महामंत्री राजेश अग्रवाल पदाधिकारी करतार सिंह कालरा, बजरंग अग्रवाल, विनय कुमार अग्रवाल, राजेंद्र अग्रवाल {तुलसी} राकेश पटेल , नवीन खजांची, उमाशंकर पटेल, जय अग्रवाल, वेद प्रकाश अग्रवाल, अशोक अग्रवाल, (गांधी गंज) मनोज बेरीवाल, बजरंग अग्रवाल जूट मिल, प्रदीप श्रृंगी, अशोक जैन, ललित बोंदिया ,अनिल गर्ग ,आकाश अग्रवाल ने रायगढ़ विधायक एवं केबिनेट मंत्री ओ पी चौधरी से निवेदन किया है कि वे सभी शासकीय कार्यालयों को निर्देशित करें कि वह अपनी वेबसाइट को अपडेट करें जिससे न केवल अद्यतन जानकारियां आम जनता तक पहुंच पाए बल्कि आम जनता के लिए शासन द्वारा संचालित सभी योजनाओं की जानकारी मिल सके। वही कार्यालयों में काम करने वाले अधिकारियों एवं कर्मचारियों के मोबाइल नंबर भी उसी साइट में अपडेट करें तो लोगों को उनसे संपर्क करने में आसानी होगी। वर्तमान में जिन अधिकारियों एवं कर्मचारियों के मोबाइल नंबर और लैंडलाइन नंबर डाले गए है वे या तो बंद रहते हैं या फिर उन्हें उठाया नहीं जाता और कई अधिकारी तो स्थानांतरित हो कर जा चुके हैं ।