रायगढ़ । प्रतिवर्ष होने वाली सिंधु दर्शन यात्रा इस बार 31 में से 12 जून तक आयोजित की गई है इस यात्रा के आयोजक भारतीय सिंधु सभा है इस यात्रा में शामिल होने के लिए सड़क एवं वायु मार्ग के निम्नलिखित विकल्प उपलब्ध हैं। छत्तीसगढ़ प्रभारी मुरलीधर शादीजा ने बताया कि वायुमार्ग 18000 + वायुयान किराया अतिरिक्त वायु मार्ग का उपयोग करने वाले दर्शनार्थ अपने स्वयं के व्यवस्था से 5 जून सुबह तक लेह पहुंचेंगे तत्पश्चात 5,6,7,8 जून आयोजन में शामिल होंगे एवं लेह भ्रमण करेंगे उसके बाद 9 जून सुबह उनकी वापसी स्वयं की व्यवस्था से होगी। सड़क मार्ग की यात्रा जम्मू -लेह -जम्मू 24000 प्रति व्यक्ति निर्धारित की गई है जिसमें यात्री को अपनी स्वयं की व्यवस्था से 31 मई 24 की शाम तक जम्मू पहुंचना है 1 जून की सुबह 7:00 बजे जम्मू से रवानगी, शाम को श्रीनगर पहुंच कर रात्रि विश्राम। 2 जून को श्रीनगर भ्रमण, रात्रि विश्राम श्रीनगर 3 जून को सुबह 7:00 बजे रवानगी, माता क्षीर भवानी के दर्शन करते हुए, सोनमर्ग होते हुए जोजिला दर्रा, जीरो प्वाइंट,द्रास (वर्ल्ड का सेकंड कूलेस्ट प्लेस) और कारगिल युद्ध स्मारक देखते हुए रात को कारगिल पहुंच कर रात्रि विश्राम। 4 जून को सुबह करगिल से रवानगी लामायुरु, झंस्कार- सिंधु संगम, मैग्नेटिक हिल, गुरुद्वारा पत्थर साहिब के दर्शन करते हुए शाम को लेह पहुंच कर रात्रि विश्राम। 5,6,7 और 8 जून लेह में मुख्य आयोजन एवं लेह भ्रमण 9 जून को सुबह लेह से वापसी करते हुए शाम तक करगिल पहुंच कर रात्रि विश्राम। 10 जून को तड़के सुबह करगिल से निकलकर दोपहर तक श्रीनगर पहुंचना। शाम को श्रीनगर में यात्रियों द्वारा स्वतः भृमण। रात्रि विश्राम श्रीनगर11 जून सुबह श्रीनगर से रवानगी, शाम 7 बजे तक जम्मू पहुंचना और यात्रा का समापन। सड़क मार्ग रूट क्रमांक दो जम्मू – लेह – मनाली – चंडीगढ़ 26000 प्रति यात्री 31 मई 2024 को जम्मू पहुंचना,1जून की सुबह 7:00 जम्मू से रवानगी, शाम को श्रीनगर पहुंच कर रात्रि विश्राम।2 जून को श्रीनगर भ्रमण और रात्रि विश्राम 3 जून को सुबह 7:00 बजे श्रीनगर से रवानगी, माता क्षीर भवानी के दर्शन करते हुए, सोनमर्ग होते हुए जोजिला दर्रा, जीरो प्वॉइंट, द्रास (वर्ल्ड का सेकंड कूलेस्ट प्लेस), कारगिल युद्ध स्मारक देखते हुए रात को कारगिल पहुंच कर रात्रि विश्राम। 4 जून को सुबह करगिल से रवानगी लामायुरु, झंस्कार- सिंधु संगम, मैग्नेटिक हिल, गुरुद्वारा पत्थर साहिब के दर्शन करते हुए शाम को लेह पहुंच कर रात्रि विश्राम। 5,6,7 और 8 जून को लेह में मुख्य आयोजन एवं लेह भ्रमण। 9 जून को लेह से पांग और सरचू होते हुए केलांग में रात्रि विश्राम। 10 जून को सुबह केलांग से रवानगी, सिस्सू जलप्रपात (साइट सीन), अटल टनल, सालोंग वैली (साइट सीन) होते हुए मनाली में रात्रि विश्राम। 11 जून को यात्री मनाली में स्थानीय स्थलों का स्वयं भृमण करेंगे या आयोजन समिति द्वारा मणिकरण ले जायेंगे।12 जून को मनाली से रवाना होकर चंडीगढ़ में यात्रा की समाप्ति। जो यात्री 12 जून को चंडीगढ़ में रुकना चाहते हैं उन्हें पहले सूचना देनी होगी। सड़क एवं वायु मार्ग जम्मू – लेह – दिल्ली 22000+ वापसी का वायुयान किराया अतिरिक्त रूट 2 की लेह तक यात्रा के बाद 9 जून को वायुयान द्वारा दिल्ली वापसी। लेह भ्रमण में स्थानीय गोम्पा, हॉल ऑफ फेम, शांति स्तूप, रेंचो स्कूल आदि तात्कालिक परिस्थिति अनुसार। खारदुंगला टॉप – विश्व का सर्वाधिक ऊंचा मोटरेबल रोड पैंगोंग झील सिन्धु घाट पर हवन, श्री झूलेलाल जी का बहिराणा साहब, आरती पल्लव, सांस्कृतिक कार्यक्रम, सिन्धु नदी मे स्नान, पूजा अर्चना । यात्रा में शामिल होने के इच्छुक यात्रियों के लिए फॉर्म स्थानीय मोटवानी कंसल्टेंसी श्याम टॉकीज रोड रायगढ़ पर उपलब्ध है।
राष्ट्रीय सिंधु मंच (रजि ) की संस्थापक राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ सपना कुकरेजा एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता हीरा मोटवानी ने सिंधी समाज को महत्वपूर्ण यात्रा में शामिल होने की अपील की है उन्होंने कहा कि यह यात्रा राष्ट्रीय गौरव,राष्ट्रीय स्वाभिमान तथा अनेकता में एकता का जीवंत प्रतीक है, यह यात्रा राष्ट्र की धार्मिक,सामाजिक व सांस्कृतिक विरासत के अनूठे सामंजस्य का भी प्रतीक है, अतः यात्रा के दौरान हम सभी का आचरण सात्विक तथा मर्यादित रहे,ऐसी अपेक्षा तथा निवेदन है।
27 वीं सिंधु दर्शन यात्रा कि झलकियां ………..