डराने लगा है मंकी पॉक्स का खतरा
क्या मानव जाति फिर से एक फैलने वाली बीमारी की त्रासदी झेलने के लिए तैयार है ?
रायगढ़। पिछले 14 अगस्त को डब्लू एच ओ के डायरेक्टर ने यह घोषणा करते हुए फिर से एक बार मानव जाति को गहरी चिंता और फिक्र में डाल दिया है कि मंकी पॉक्स जो अब तक सिर्फ अफ्रीका में मानव को इनफैक्ट कर रहा था वह पूरी दुनिया के लिए खतरा बन चुका है।
वर्ष 2022 में भी इस मंकी पॉक्स ने दुनिया भर में फैलने की कोशिश की थी परंतु ऐसा नहीं हो पाया था । लेकिन हाल ही में एक नया वेरिएन्ट जन्म ले चुका है जो पहले से भी कहीं ज्यादा पावरफुल और फैलने वाला है इसने अफ्रीका के डेमोक्रेटिक रिपब्लिक आफ कांगो से फैलना शुरू करके लगभग 12 देश में अपनी पैठ बना ली है। यह नया वेरिएंट कोविड से भी 7 गुना ज्यादा खतरनाक है।
पिछले दिनों दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी के प्रिंसिपल सेक्रेटरी पी के मिश्रा ने एक अर्जेंट मीटिंग बुलाई और उन्होंने दिल्ली के तीन बड़े अस्पताल राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल सफदरजंग हॉस्पिटल तथा एक अन्य को तैयार रहने के लिए कहा क्योंकि दिल्ली में सबसे ज्यादा इंटरनेशनल ट्रैवल्स आते हैं । दिल्ली के साथ-साथ उन्होंने बाकी प्रदेशों को भी चेतावनी देते हुए अपील की है कि वह अपने अस्पतालों को इस नहीं महामारी के लिए तैयार रखें।
यह बीमारी बंदरों से फैली है इसीलिए इसका नाम मंकी पॉक्स रखा गया है सबसे पहले यह कांगो के एक 9 साल के आदिवासी बच्चे दिखाई दिया जिसके कारण उसका पूरा का पूरा कबीला इनफेक्टेड हो गया था। यह मामला 1958 में दर्ज किया गया था यह एक छूत की बीमारी है। यदि इसका इनफेक्टेड इंसान या जानवर किसी चीज को छू ले और उसके बाद एक स्वस्थ इंसान इस चीज को छुए तो वह तुरंत इनफेक्टेड हो जाता है। इसके बारे में यह भी कहा गया है कि ह्यूमिडिटी वाले एनवायरमेंट में यह कपड़ों एवं बेजान वस्तुओं पर भी 15 दिनों से अधिक समय तक जिंदा रहता है।
एमपॉक्स में आमतौर पर सबसे पहले बुखार, मांसपेशियों में दर्द और गले में खराश होती है। एमपॉक्स के दाने चेहरे से शुरू होते हैं और पूरे शरीर में फैलते हैं, हाथों की हथेलियों और पैरों के तलवों तक फैलते हैं और 2-4 सप्ताह में कई चरणों में विकसित होते हैं – मैक्यूल, पपल्स, वेसिकल्स, पस्ट्यूल। घाव बीच में दब जाते हैं और फिर ऊपर से पपड़ी बन जाती है।मंकीपॉक्स की विशेषता यह है कि इसके अंदर न केवल तरल पदार्थ होता है, बल्कि मवाद भी होता है।”
आने वाले दिनों में जब भारत देश त्योहारों की खुशियां मना रहा होगा ऐसे में यदि यह मंकी पॉक्स फैलने लगे तो सोचिए क्या हो सकता है? क्योंकि ना तो अभी पर्याप्त मात्रा में टेस्टिंग किट मौजूद है और ना ही इसकी कोई वैक्सीन अभी तक भारत में बन पाई है। शायद भारत सरकार इसीलिए अभी इस मुद्दे को हवा देना नहीं चाहती है वह चाहती है कि इससे पहले की जनता में पैनिक फैले, टेस्टिंग किट और वैक्सीन की तैयारी कर ली जाए।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने पहले ही पूरी दुनिया से इसके 88% वैक्सीन को अपने यहां होल्ड कर लिया है इन सब बातों को देखते हुए देश में मंकी पॉक्स की चर्चा चलने लगी है। और जानकार लोग चिंतित हैं और इसके मुकाबला करने की ओर तेजी से सोच रहे हैं और कार्य कर रहे है ।
बहरहाल कुछ भी हो अब यह मंकी पॉक्स का खतरा डराने लगा है पहले ही देश में डेंगू और स्वाइन फ्लू के मरीज बढ़ते जा रहे हैं और इनमें से कई लोग अपनी जान भी गवा चुके हैं तो क्या मानव जाति फिर से एक बार फैलने वाली बीमारी की त्रासदी झेलने के लिए तैयार है ?यह एक बड़ा यक्ष प्रश्न है?