लाखों के नए नोट बांटे पर समस्या जस की तस
रायगढ़। प्रदेश चैंबर आफ कमर्स एंड इंडस्ट्रियल एसोसिएशन रायगढ़ ने विगत दिनों भारतीय रिजर्व बैंक से लगातार पत्राचार किया और उन्हें रायगढ़ की स्थिति के बारे में बताया की वर्तमान में यहां पर चिल्हर एवं छोटे नोटों की कमी हो गई है और जिससे खुदरा व्यापार प्रभावित हो रहा है। जिस पर रायगढ़ से राज्यसभा सांसद देवेंद्र प्रताप सिंह ने भी उनके इस पत्र को आगे बढ़ाया और रिजर्व बैंक से पत्राचार किया। इसके बाद रिजर्व बैंक से एक फोन कॉल आया और उसमें अधिकारियों ने चर्चा के दौरान बताया कि रायगढ़ के चेस्ट ब्रांच में सिक्के पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है नोट की कमी को पूरा करने के लिए यहां से नोटों की आपूर्ति की जा रही है। और आपका पत्र भी चेस्ट ब्रांच को फॉरवर्ड किया जाएगा प्रदेश चैंबर चेस्ट ब्रांच के संकेत का इंतजार करता रहा परंतु बाद में पता चला कि चेस्ट ब्रांच ने प्रदेश चैंबर को आहूत न करके छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स के दोनों धड़ों को बुलाकर नोटों की आपूर्ति की है। हो सकता है उन्होंने भी इस हेतु प्रयास किया हो , खैर नोट कोई भी बांटे समस्या का हल होना चाहिए, सकारात्मक सोच से ही बात बनती है। परंतु आज तीन-चार दिन हो गए हैं नोट बांटने के बाद मार्केट में समस्या जस की तस है और नए नोटों का प्रवाह खुदरा बाजार में नहीं दिख रहा है। जिसका एक ही मतलब है की या तो ऐसे व्यक्तियों के पास नोट पहुंच गए हैं जो उनका इस्तेमाल या तो दीपावली पूजन में करेंगे या फिर आने वाली शादी सीजन में करेंगे। इस तरह नोट चेस्ट ब्रांच से निकलकर लोगों की तिजोरियों में पहुंच गए हैं। इससे अच्छा तो यह होता की स्टेट बैंक स्वयं यह नोट उन लोगों को देता जो त्यौहार के खरीदारी करने के लिए बैंक से पैसा निकाल रहे हैं और उसे बाजार में खर्च करेंगे इस तरह नए नोट का प्रवाह बाजार में हो सकता था। और यह समस्या भी हल हो जाती क्योंकि मध्यम और निम्न मध्यम वर्ग के परिवार तो नोट को होल्ड नहीं करते हैं बल्कि उन्हें खर्च करना ही होता है और वह बैंक से पैसे ही इसलिए निकालते हैं कि वह उसे खर्च कर सके।अब समस्या जस की तस बनी हुई है और बाजार में छोटे नोट उपलब्ध नहीं है। हालांकि छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स के एक ग्रुप में बाकायदा यह अपील भी जारी की थी की जो लोग नोट ले जा रहे हैं वह उसे सहेज कर न रखें बल्कि उसे बाजार में खर्च करें ताकि बाजार में चिल्हर नोट की कमी ना रहे परंतु ऐसा हो नहीं पाया । इधर स्वयं चेंबर के सदस्य लोग कह रहे हैं कि जब वोट लेने का समय आता है तो चेंबर के पदाधिकारी उनके दुकानों तक हाथ जोड़कर पहुंचते हैं पर जब इस प्रकार के चिल्हर बांटने की बारी आती है तो वह उन्हें दुकान पहुंच कर नहीं देते बल्कि उन्हें लाइन में लगा देते हैं और बाद में चिल्हर भी नहीं मिल पाती है । यह समझ में नहीं आया की न सदस्य संतुष्ट है न व्यापारी और ना ही दोनों चेम्बर गुट को यश अर्जित हुआ जिन्होंने मेहनत करके अपना पैसा लगाकर बैंक से नोट लाया और अपना समय देकर उसे वितरण कार्य में लगाया तो फिर आखिर इस पूरे नोट एपिसोड का हुआ तो हुआ क्या? बहरहाल प्रदेश चैंबर आफ कमर्स एंड इंडस्ट्रियल एसोसिएशन ने पुनः पत्राचार करते हुए रिजर्व बैंक से नोटों की आपूर्ति बढ़ाने के लिए निवेदन किया है सभी बैंकों के माध्यम से अपने-अपने खुदरा ग्राहकों तक उनके विड्रावल समय थोड़ा थोड़ा देने का अनुरोध किया है ताकि छोटे नोटों का प्रवाह बाजार में दिखाई दे।
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