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छोटे बच्चों की ऑनलाइन क्लास से उन्हें फायदा या नुकसान

छोटे बच्चों की ऑनलाइन क्लास से उन्हें फायदा या नुकसान

आजकल कई बार किन्ही आवश्यक कारणों के चलते अथवा छुट्टियाँ  घोषित होने के कारण स्कूलों से बच्चों को ऑनलाइन क्लासेज के माध्यम से शिक्षा प्रदान करने का प्रचलन है। परंतु इस विधि से उन्हें फायदा हो या रहा है या नुकसान इसका आकलन भी आवश्यक है।
हम देखते हैं कि कई  महाविद्यालयीन विद्यार्थी भी जब ऑनलाइन क्लास लेते हैं तो उनकी आंखों पर बुरा असर पड़ता है और उन्हें चश्मे या फिर लेंस लगाने पड़ते तो फिर छोटे बच्चों के आंखों पर इसका असर पड़ना लाजिमी है।  क्योंकि इसमें ध्यान केंद्रित रखने की चुनौती होती है और ज्यादा समय तक स्क्रीन पर नजरें टिकाए रखने करने के कारण आंखों पर तनाव बनता है जिससे उन्हें छोटी उम्र में मोटे-मोटे चश्मे  लग जाते हैं। इसके अलावा ऑनलाइन क्लासेस उन्हें वास्तविक संसार से दूर कर देती है वे सामाजिक और पारिवारिक  मेलजोल से दूर होते जाते हैं।  आज हम इसी विषय पर ध्यान देंगे की ऑनलाइन क्लास की लाभ है या हानि।  सबसे पहले हम ऑनलाइन क्लास के लाभ पर चर्चा करते हैं।
ऑनलाइन क्लास से बच्चों को पढ़ने के लिए अधिक से अधिक सामग्री प्राप्त होती है जिससे उनका ज्ञान बढ़ता है।  इसी तरह ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उन्हें कुछ विशेषज्ञ शिक्षकों से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा भी मिलती  है और वे अपनी रूचि  के अनुसार उन विषयों में महारत प्राप्त करने में आगे बढ़ते  हैं।  ऑनलाइन क्लास से समय की बचत होती है बच्चों को घर बैठे शिक्षा मिलती है और उन्हें स्कूल जाने और आने के लिए प्रदूषित यातायात का सामना नहीं करना पड़ता। ऑनलाइन क्लास इस्तेमाल करने से उन्हें बड़ी आसानी से वीडियो ऑडियो प्राप्त होते हैं जिन्हें वे बखूबी इस्तेमाल करते हैं।
परंतु इन फायदों को प्राप्त करने के लिए उन्हें जो नुकसान उठाना पड़ता है उसमें सबसे पहले नंबर पर है आंखों का तनाव जो उनके लिए अत्यंत हानिकारक होता है जिसकी भरपाई असंभव है उन्हें माइग्रेन और मस्तिष्क सम्बन्धी रोग भी हो सकते हैं कई बच्चों में कलर ब्लाइंडनेस की समस्या भी देखी गयी है। निकट दृष्टि दोष (मायोपिया),दूर दृष्टि दोष (हाइपरमेट्रोपिया),एम्ब्लियोपिया ,स्ट्रबिस्मुस ,ल्यूकोकोरिया (व्हाइट पीपल) जैसे रोग बच्चों में तेजी से घर कर रहे हैं। दूसरा ऑनलाइन क्लास उन्हें  वास्तविक संसार से दूर कर देती है और वे परिवार व् दोस्तों के प्रत्यक्ष वार्तालाप से भी कुछ हद तक दूर होते जाते हैं। वे अपने सहपाठियों के साथ भी ऑनलाइन ही जुड़े रहते हैं जिससे वे दिन भर उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं और सामाजिक संवाद के अवसर उन्हें नहीं मिल पाते। ऑनलाइन क्लास में उन्हें तकनीकी समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है कभी इंटरनेट कनेक्शन की समस्या कभी कंप्यूटर या वीडियो कॉलिंग प्लेटफार्म खराब होने से बाधा उत्पन्न होती है जिससे उनका बहुत सा समय व्यर्थ ही नष्ट होता है । उन्हें ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती है तथा घर में उनके आसपास कई प्रकार के विकल्प होते हैं जो उनका ध्यान भटकाते रहते हैं। सबसे बड़ी बात कि यदि इन उपकरणों का इस्तेमाल करते करते किसी गलत दिशा की ओर  मुड़ जाएं तो उनका जीवन ही तबाह हो सकता है फिर उन्हें मुख्यधारा में लाना अत्यंत ही कठिन हो जाएगा।
एक समय था जब अभिभावक बड़े बच्चों को भी टेलीविजन से भी दूर रखते थे ताकि वे पढ़ाई पर अपना ध्यान दे सकें क्योंकि टेलीविजन पर कुछ अच्छे चलचित्र के साथ-साथ कुछ बुरे चलचित्र और संवाद भी प्रदर्शित होते हैं। और अब जो उपकरण हम उनके हाथों में दे  रहे हैं वे तो अत्यंत ही  खतरनाक हैं जिसमें इंटरनेट भी चालू है और कभी भी गलती से वह किसी गलत साइट पर भी जा सकते हैं।
इन सब से बचने के लिए ऑनलाइन क्लास को कम से कम समय के लिए रखना चाहिए ताकि अभिभावक भी इतना समय उनके साथ बैठ सके।  और फिर ब्रेक भी देना जरूरी है ताकि उनकी आंखों पर तनाव में बने ,और इसके साथ साथ अभिभावकों को भी यह सावधानी रखनी है कि वे अपने उपकरणों में बेकार की वेबसाइट को ब्लॉक कर दें और ऐसा फ़िल्टर लगवाएं कि गलती से भी बच्चे उन तक न पंहुच पायें। समय  समय पर उनका नेत्र परिक्षण और सामान्य चिकित्स्कीय परीक्षण भी कराते रहें। बच्चे छोटे होते हैं, उस उम्र तक उनकी समझ विकसित नहीं हो पाती है, इसलिए यह माता-पिता का कर्तव्य है कि अपने बच्चों का ध्यान रखें। अगर बच्चों में निम्न में से कोई भी लक्षण दिखाई दें तो तुरंत नेत्र रोग विशेषज्ञ से जांच कराएं।
  • अगर आपका बच्चा आंखों को सिकोड़ कर या स्क्विंट करके देख रहा है।
  • ज़ोर-ज़ोर से और बार-बार आंख रगड़ता हो।
  • एक आंख को बंद करता हो या पढ़ते या टीवी देखते समय सिर एक ओर झुका लेता हो।
  • टीवी, कंप्यूटर या मोबाइल की स्क्रीन को बहुत पास से देखता हो।
  • किताबों को अपनी आंखों के बहुत पास लाकर पढ़ता हो।
  • लगातार कई दिनों से आंखों और सिर में दर्द रह रहा हो।
  • बार-बार या सामान्य से अधिक पलकें झपकाने की समस्या हो।

बदलते समय के साथ सावधानी से अपने बच्चों को आगे जाने का मार्ग प्रशस्त करें। 

डॉ बुलबुल मूलचंदानी 
रायपुर
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Author: Front Face News

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