लोकतंत्र के चारों स्तंभों में महिलाओं की भागीदारी बढ़नी चाहिए- पूनम मोटवानी

लोकतंत्र के चारों स्तंभों में महिलाओं की भागीदारी बढ़नी चाहिए- पूनम मोटवानी

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हर वर्ष 8 मार्च को मनाया जाता है, जो महिलाओं की उपलब्धियों का उत्सव मनाने और  महिलाओं के अधिकारों और सशक्तिकरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने का दिन है। राष्ट्रीय सिंधी मंच (रजि.) की अध्यक्ष डॉ सपना कुकरेजा और महिला विंग की छत्तीसगढ़ प्रभारी पूनम मोटवानी ने प्रदेश की सभी महिलाओं को इस दिन की बधाई देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की है।  पूनम मोटवानी ने कहा कि वर्ष 2025 के लिए अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की थीम है “#AccelerateAction” एक्सीलरेट एक्शन यानी तेजी से बदलाव।

आज भी महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम वेतन और सीमित मौके मिलते हैं,आज भी घरेलू हिंसा ,कार्यस्थल पर असुरक्षा, समाज की रूढ़िवादी सोच, महिलाओं की तरक्की में बाधा है । जिस पर हमें तेजी से बदलाव लाना है और यह सब तभी होगा जब हम महिलाएं लोकतंत्र के चारों स्तंभ यानी न्यायपालिका, विधायिका, कार्यपालिका, और पत्रकारिता में पुरुषों की बराबरी कर पायेंगी । इसके लिए शिक्षा और दक्षता दोनों आवश्यक है। अतः हम स्वयं पढ़े बच्चों को पढ़ायें और खासकर बेटियों को पढ़ा लिखा कर ज्यादा मौके प्रदान करें तो आने वाले समय में हम चारों स्तंभों में अपनी दावेदारी सुनिश्चित कर सकेंगी । मुझे गर्व है कि हमारी बहनों बेटियों ने यह शुरुआत कर दी है ।

 

उल्लेखनीय है अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत 1908 में न्यूयॉर्क शहर में लगभग 15,000 महिलाओं के एक प्रदर्शन से हुई थी, जो नौकरी के घंटे कम करने, उचित वेतन, और मतदान के अधिकार की मांग कर रही थीं। इसके बाद, 1909 में अमेरिका की सोशलिस्ट पार्टी ने पहला राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया। सन 1911 में, ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी, और स्विट्जरलैंड में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया। 1975 में, संयुक्त राष्ट्र ने आधिकारिक रूप से 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मान्यता दी।

श्रीमती मोटवानी ने आगे कहा कि प्रिय बहनों आप शक्ति है, आप प्रेरणा हैं, और आप भविष्य की नींव हैं। इस दुनिया में कोई भी चुनौती इतनी बड़ी नहीं है कि आपके हौसले से टकराकर न बिखर जाए। अपने सपनों को छोटा मत समझिए और खुद को कभी कम मत आंकिए। आपमें वो ताकत है, जो असंभव को भी संभव बना सकती है। ज्ञान से खुद को सशक्त बनाइए और दुनिया को दिखाइए कि एक शिक्षित महिला पूरे समाज को बदल सकती है। घर हो, ऑफिस हो, खेल का मैदान हो या विज्ञान की प्रयोगशाला, हर जगह अपनी जगह बनाइए। दूसरों का ख्याल रखना आपकी खूबी है, लेकिन खुद का ख्याल रखना आपकी जिम्मेदारी है। जब महिलाएं एक-दूसरे को सहयोग और समर्थन देती हैं, तो वे और भी ऊँचाइयों तक पहुँचती हैं।

इस अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर यह संकल्प लें कि आप अपने सपनों को साकार करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगी। आप केवल घर की नहीं, देश और समाज की भी रीढ़ हैं। आपसे ही दुनिया रोशन है! आज के दौर में महिलाओं के लिए कई नए और उभरते हुए रोजगार के अवसर उपलब्ध हैं। टेक्नोलॉजी, उद्यमिता, और वर्क-फ्रॉम-होम ,डेटा एनालिस्ट, मशीन लर्निंग इंजीनियर और AI विशेषज्ञ ,सोशल मीडिया मार्केटिंग, कंटेंट क्रिएशन , कंटेंट राइटिंग, ग्राफिक डिजाइनिंग, वेब डेवलपमेंट , डॉक्टर,इंजीनियर चार्टर्ड अकाउंटेंट, अधिवक्ता , काउंसलर, साइकोलॉजिस्ट , योगा इंस्ट्रक्टर, फिटनेस कोच या न्यूट्रिशनिस्ट ऑनलाइन प्लेटफॉर्म (जैसे Etsy, Meesho, Amazon) पर अपने प्रोडक्ट्स का विक्रय  घर से ही होममेड फूड, बेकरी  और क्लाउड किचन का संचालन  ऑनलाइन ट्यूटरिंग ,ट्रैवल ब्लॉगिंग और ब्लॉगिंग , वेडिंग प्लानिंग, ट्रैवल प्लानिंग , जैविक खेती, हाइड्रोपोनिक्स और कृषि-स्टार्टअप , ब्यूटी, फैशन, मोटिवेशन, फूड या एजुकेशन से जुड़ा कंटेंट राईटर , पर्यावरण संरक्षण और ग्रीन एनर्जी से जुड़े रोजगार  सिविल सर्विसेज, सरकारी योजनाओं से जुड़कर महिलाओं के लिए रोजगार के नए रास्ते खुल रहे हैं।आज महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर केवल पारंपरिक नौकरियों तक सीमित नहीं हैं। वे किसी भी क्षेत्र में कदम रख सकती हैं और सफलता प्राप्त कर सकती हैं।

महिलाओं की सुरक्षा आज के समय में एक गंभीर और महत्वपूर्ण विषय है। चाहे घर हो, कार्यस्थल हो, यात्रा के दौरान हो या ऑनलाइन दुनिया में – हर जगह महिलाओं को सुरक्षित महसूस करने का अधिकार है। सुरक्षा न केवल समाज की जिम्मेदारी है, बल्कि हर महिला को स्वयं भी सतर्क और जागरूक रहना चाहिए। नए या अनजान स्थानों पर जाते समय अपने आसपास के माहौल को ध्यान से देखें। आत्मरक्षा के लिए कराटे, जूडो, या सेल्फ-डिफेंस ट्रेनिंग लेना उपयोगी हो सकता है। पेपर स्प्रे, टेज़र, अलार्म या छोटा चाकू अपने पास रखना मददगार हो सकता है। देर रात अकेले यात्रा करने से बचें और कैब बुक करते समय लोकेशन शेयर करें। पुलिस हेल्पलाइन (112), महिला हेल्पलाइन (1091) और अन्य आपातकालीन नंबर हमेशा सेव रखें।
सोशल मीडिया और बैंकिंग अकाउंट्स के लिए मजबूत पासवर्ड का उपयोग करें। ऑनलाइन फ्रॉड से सतर्क रहें। किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक न करें और फोन पर पर्सनल जानकारी साझा न करें। अपनी प्रोफाइल को प्राइवेट रखें और अनजान लोगों को व्यक्तिगत जानकारी न दें।यदि कार्यस्थल पर कोई अनुचित व्यवहार हो तो तुरंत HR या महिला सुरक्षा कमेटी को रिपोर्ट करें। ऑफिस में भरोसेमंद सहयोगियों से संपर्क में रहें। यदि देर रात काम करना पड़े तो परिवहन सुविधा की मांग करें। यात्रा के दौरान फोन या ईयरफोन में न खोएं, आसपास के माहौल पर ध्यान दें। जेबकतरे या गलत इरादों वाले लोगों से बचने के लिए सावधान रहें। ज़रूरत पड़ने पर पुलिस, आस-पास के लोगों या सुरक्षा गार्ड की मदद लें। ‘Nirbhaya App’, ‘Himmat App’ जैसी सुरक्षा एप्स का उपयोग करें।

लोकतंत्र के चार स्तंभों में महिलाओं की भागीदारी

लोकतंत्र चार स्तंभों – विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका, और मीडिया – पर टिका हुआ है। महिलाओं की प्रभावी भागीदारी इन सभी स्तंभों में लोकतंत्र को मजबूत और समावेशी बनाती है। आज, महिलाएं हर क्षेत्र में अपने अधिकारों और क्षमताओं को साबित कर रही हैं, लेकिन अब भी समानता के लिए संघर्ष जारी है। आइए जानते हैं कि इन चारों स्तंभों में महिलाओं की स्थिति और भूमिका क्या है।

1. विधायिका (Legislature) – नीति निर्माण में महिलाओं की भूमिका

 विधायिका यानी संसद और विधानसभाओं में महिलाओं की भूमिका कानून निर्माण और नीति निर्धारण में अहम होती है।

महिलाओं की स्थिति:

  • भारत में महिला सांसदों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है।
  • 2023 में महिला आरक्षण विधेयक पास किया गया, जो संसद और विधानसभाओं में 33% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करता है।
  • पंचायत राज व्यवस्था में 50% आरक्षण से महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है।
  • महिलाओं की उपलब्धियां:
  • इंदिरा गांधी – भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री।
  • मीरा कुमार – भारत की पहली महिला लोकसभा अध्यक्ष।
  • निर्मला सीतारमण – भारत की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री।

2. कार्यपालिका (Executive) – प्रशासनिक नेतृत्व में महिलाओं की भूमिका

 कार्यपालिका यानी सरकार और प्रशासनिक सेवाओं में महिलाओं की भागीदारी से नीति कार्यान्वयन अधिक प्रभावी बनता है।

महिलाओं की स्थिति:

  • सिविल सेवाओं (IAS, IPS, IFS) में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है।
  • केंद्र और राज्य सरकारों में कई महिला मंत्री और अधिकारी प्रभावी भूमिका निभा रही हैं।

महिलाओं की उपलब्धियां:

  • के. किरण बेदी – भारत की पहली महिला IPS अधिकारी।
  • अन्ना राजम मल्होत्रा – भारत कि पहली IAS अधिकारी । 

3. न्यायपालिका (Judiciary) – न्यायिक फैसलों में महिलाओं की भागीदारी

 न्यायपालिका यानी अदालतों में महिलाओं की भागीदारी न्याय को अधिक निष्पक्ष और न्यायसंगत बनाती है।

महिलाओं की स्थिति:

  • सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में महिला जजों की संख्या कम है।
  • अब तक एक भी महिला भारत की मुख्य न्यायाधीश (CJI) नहीं बनी है 

महिलाओं की उपलब्धियाँ:

  • फातिमा बीवी – भारत की पहली महिला सुप्रीम कोर्ट जज।
  • इंदु मल्होत्रा – सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला वकील जो सीधे जज बनीं।

 4  मीडिया (Media) – विचारों और सूचनाओं में महिलाओं की भूमिका

मीडिया यानी समाचार पत्र, टेलीविजन, डिजिटल प्लेटफॉर्म में महिलाओं की भागीदारी लोकतंत्र को पारदर्शी बनाती है।

महिलाओं की स्थिति:

  • मीडिया में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है, लेकिन उच्च संपादकीय पदों पर उनकी संख्या कम है।
  • डिजिटल मीडिया और स्वतंत्र पत्रकारिता में महिलाओं का प्रभाव बढ़ा है।

महिलाओं की उपलब्धियां:

  • बरखा दत्त – भारत की प्रसिद्ध पत्रकार, युद्ध संवाददाता।
  • फेय डिसूजा – बेबाक पत्रकारिता के लिए प्रसिद्ध।

लोकतंत्र के चारों स्तंभों में महिलाओं की भागीदारी जितनी बढ़ेगी, समाज उतना ही समावेशी और न्यायसंगत बनेगा। सरकार, समाज और संस्थानों को मिलकर महिलाओं को समान अवसर और अधिकार देने के लिए निरंतर प्रयास करना चाहिए। “जब महिलाएँ नेतृत्व करेंगी, तब लोकतंत्र सशक्त होगा!”

अंत में सभी महिलाओं से कहना चाहती हूं –

रुके नहीं झुके नहीं, मंजिल करीब है थके नहीं, सफर लंबा है मुश्किलें भी आयेंगी  पर तुम निराश न होना वह सुबह कभी तो आएगी। 

पूनम मोटवानी

छतीसगढ़ प्रभारी (महिला विंग )
राष्ट्रीय सिन्धी मंच (रजि )
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025 पर विशेष 
Front Face News
Author: Front Face News

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