अमीर कॉलोनियों में अवैध निर्माण पर कार्रवाई क्यों नहीं- सुप्रीम कोर्ट
रायगढ़ ।सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA), दिल्ली नगर निगम (MCD) और दिल्ली सरकार से समृद्ध अनधिकृत कॉलोनियों को बचाने की कोशिश करने के लिए स्पष्टीकरण मांगा है।
जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस उज्जल भुइयां की खंडपीठ ने डीडीए, एमसीडी और दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वे दो महीने के भीतर हलफनामा दायर कर अपनी कार्रवाई का ब्योरा दें। केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय से भी जवाब मांगा गया है।
कोर्ट दिल्ली में पर्यावरण संरक्षण को लेकर एमसी मेहता मामले की सुनवाई कर रहा था। एमिकस क्यूरी की सीनियर एडवोकेट अनीता शेनॉय ने नियमों और कानूनों के माध्यम से दिल्ली में अवैध निर्माण के नियमितीकरण के बारे में चिंता जताते हुए एक आवेदन दायर किया।
कोर्ट ने कहा, “हम समझ सकते हैं कि झुग्गीवासियों की रक्षा के लिए कुछ उदार इशारा है, लेकिन जैसा कि विद्वान एमिकस द्वारा सही बताया गया है, समृद्ध लोगों के अवैध संरचनाओं को नियमित करने का प्रयास किया जा रहा है। हम सभी चार संस्थाओं को आज से 2 महीने के भीतर हलफनामा दायर करने का निर्देश देते हैं कि अमीरों की अवैध संरचनाओं को बचाने का प्रयास क्यों किया जा रहा है। इस मुद्दे पर विचार करने के लिए हलफनामा प्राप्त करने के बाद तारीख तय की जाएगी।
एमसीडी ने 24 अप्रैल को एक स्टेटस रिपोर्ट दायर की, जिसमें खुलासा किया गया कि कॉलोनी में 126 फ्लैट हैं, जिनमें से केवल 10 फ्लैट 2014 के अधिनियम के तहत संरक्षित थे। शेष 116 फ्लैट अवैध पाए गए थे, लेकिन उनमें से केवल 28 को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। एमसीडी ने दावा किया कि शेष 88 फ्लैटों को नोटिस जारी करने की प्रक्रिया अभी भी जारी है।
कोर्ट ने कहा कि विनियमों में पीएम उदय योजना का कोई संदर्भ नहीं है। कोर्ट ने आगे कहा कि 2019 के नियमों के विनियमन 7 में विशेष रूप से समृद्ध अनधिकृत कॉलोनियों को बाहर रखा गया है,अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि दिल्ली नगर निगम अधिनियम की धारा 343 और 344 के तहत श्री साई कुंज कॉलोनी में शेष सभी 88 अवैध फ्लैटों को एक सप्ताह के भीतर विध्वंस नोटिस जारी किए जाने चाहिए।
उल्लेखनीय है कि रायगढ़ सहित छत्तीसगढ़ के विभिन्न शहरों में इस प्रकार की अवैध अमीर कॉलोनीयों के अवैध कब्जों की जानकारी समय-समय पर सामने आती रही है। परंतु किसी भी सरकार ने इस और ध्यान नहीं दिया है। उनका ध्यान झुग्गी झोपड़ी एवं गरीब बस्तियों की ओर रहता है यदि इन अमीर कॉलोनीयों के अवैध निर्माणों को नियमित किया भी जाए तो करोड़ों रुपए का राजस्व एकत्रित हो सकता है।
लाइव लॉ से साभार
